लखनऊ। हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद उसके गांव बिकरु में मिठाइयां बांटी जा रही हैं। इसी गांव में दबिश देने गयी पुलिस की टीम को विकास और उसके साथियों ने 2 जुलाई को घेरकर मारा था। आज जब विकास के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद उसके गांव के लोग एक दूसरे को मिठाइयां खिला रहे हैं। एक शख्स ने कहा कि आज आतंक के युग का अंत हुआ।
Celebration in village of gangster Vikas Dubey, distributed sweets
गैंगस्टर के गांव में उसका आतंक था। उसके मारे जाने से लोगों ने राहत की सांस ली है। इसलिए लोग यहां मिठाइयां बांटकर खुशियां मना रहे हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है, ‘यह पूरा इलाका आज बहुत खुश है। ऐसा लगता है जैसे हम आखिरकार आजाद हो गये हैं। यह आतंक के युग का अंत है। हर कोई बहुत खुश हैं।’
कानपुर एनकाउंटर में घायल कॉन्टेबल अजय कश्यप ने कहा कि इसने मेरी आत्मा को शांति दी है। इससे पुलिस और सरकार में जनता का विश्वास बहाल होगा।
गैंगस्टर बनने से पहले विकास दुबे ने रियल इस्टेट में हाथ आजमाए, जिला स्तर का एक चुनाव भी जीता और राजनीतिक हस्तियों के साथ भी नजर आया।
अपने क्षेत्र में दबदबा बनाने वाला दुबे पिछले शुक्रवार को उस वक्त सुर्खियों में आया जब उसके खिलाफ कार्रवाई करने गये आठ पुलिसकर्मियों पर गोलियों की बौछार करते हुए उन्हें मौत के घाट उतारने की सनसनीखेज घटना हुई।
सोशल मीडिया पर वायरल एक अन्य तस्वीर में दुबे जिला पंचायत के चुनाव में अपनी पत्नी रिचा दुबे के लिए वोट मांगते हुए दिखाई दे रहा था। रिचा यह चुनाव घिमाऊ से जीती थी और बिकरु गांव इसी जिला पंचायत के अंतर्गत आता है।
इस पोस्टर में दो नेताओं की भी तस्वीरें हैं जो दिखाती है कि कुख्यात अपराधी की पत्नी को भी नेताओं का समर्थन था। ये दोनों अब विपक्ष में हैं।
एक अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि वह 2001 में यहां शिवली पुलिस स्टेशन के अंदर भाजपा नेता संतोष शुक्ला की हत्या का मुख्य आरोपी था, लेकिन उसकी इतनी दहशत थी कि एक भी पुलिस अधिकारी ने उसके खिलाफ गवाही नहीं दी थी।
उन्होंने कहा, ‘अदालत में कोई सुबूत पेश नहीं किये गये और साक्ष्यों के अभाव में वह आरोपमुक्त हो गया था।’
उन्होंने दावा किया कि दुबे जेल के अंदर ही हत्या और अन्य अपराधों की योजना बनाता था और उन्हें अंजाम देता था।